वास्तु शाष्त्र दिशाओं का शाष्त्र है
प्रकृति की व्यापकता एवं उसका सौन्दर्य दिशाओं मे ही छिपा है ।
यही कारण है कि प्राचीन ऋषियों ने इस पर काफी शोध एवंअनुसंधान किए तथा दिशाओं के महत्व पर प्रकाश डाला।
बर्तमान समय मे जब कि हर व्यक्ति चाहे वह अपना व्यवसाय करता हो या नौकरी, शाम को अपने घर मे सुख एवं शांति खोजता है।
मैने सैकडों घरो मे अशांति, कलह, मतभेद, बीमारी ,दुर्घटना एवं बच्चों मे शिक्षा तथा संस्कार की कमी , वास्तु के दिशाओं मे अनियमितता के कारण पायी।
दूसरी तरफ जहाँ घरों मे सुख समृद्धि तथा धन धान्य की अधिकता दिशाओं के सही समन्वय से होती पायी गयी है।
अतः जीवन मे वास्तु का बहुत बडा उपयोग है।
वास्तु की सबसे बडी विषेशता उसकी प्रयोगधर्मिता है।
यह एक प्रायोगिक विज्ञान है।
आप जब चाहें, वास्तु दिशाओं को संतुलित कर के अपेक्षित परिणाम पा सकते हैं।
एक और बात जो बहुत महत्वपूर्ण है वह यह कि प्रत्येक घर मे वास्तु गुण एवंवास्तु दोष दोनो पाया जाता है।
मैने अपने 25 वर्ष के अनुभव मे पाया है कि बहुत से घर इतने अच्छे वास्तु गुण युक्तहोते हैं कि वहा निवास करने वाले लोग स्वतः उर्जावान होते हैं तथा सकारात्मक कार्य को सम्पादित करके ऐश्वर्य को प्राप्त करते हैं।
महाभारत, वाल्मीकि रामायण सहित अनेक पुराणों एवं अन्य ग्रंथों मे वास्तु शास्त्र या वास्तु कला का वर्णन मिलता है। जिससे इसके प्रचीन एवं तथ्यपरक होने का प्रमाण मिलता है।